December 23, 2024
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काशीपुर। साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन जितेंद्र कुमार कटियार के मौहल्ला पक्काकोट स्थित आवास पर किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र का अनावरण, माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ । सरस्वती वंदना सोमपाल प्रजापति ने प्रस्तुत की। तदोपरांत कवि जितेंद्र कुमार कटियार ने ओ दहेज के मांगने वालों कुछ तो शर्म करो, अपने बेटी, बेटे को ना को ना यूं बाजार में नीलाम करो कुछ तो शर्म करो। कवि कैलाश चंद्र यादव ने भला भी न किया तो बुरा भी न कर, अरे इस कद्र कयामत न कर, प्रभु से तो डर। कवि ओम शरण आर्य ने चंचल वाटिका में चलो घूम आये प्रिये, क्या पता यों समय फिर मिले ना मिले, गीत हर प्यार का आओ गायें प्रिये क्या पता यों समय फिर मिले ना मिले। कवि कुमार विवेक मानस जो संघर्षों में टिकता है, वह इतिहासों को लिखना है, हार मान जो थक जाता है, जीवन रण में कब दिखता है। कवि डा. प्रतोष मिश्रा ने राम ही साध्य हैं राम आराध्या हैं, राम है सारे जग में समाए हुए। कवि कैलाश चंद्र जोशी ने सूरज की तपन से, आंसू जब भाप बने, बरसे हैं धरा पर वही मेघ बन के। कवि वीके मिश्रा ने झंझावातों में यूं फंस गया जीवन, तुम अगर साथ निभाओ तो बदल सकता है। कवि सुरेंद्र भारद्वाज ने ख्वाहिशें बच्चों की पूरी करनी है, बिक जाऊं क्या, एक लंबी फेहरिस्त है मेरे दर्द की, लिख जाऊं क्या। कवि डा. यशपाल रावत ने उम्र भर के सफर में, उम्मीद की तलाश में, आज के शुभ काल में, मैं काल टालता रहा, मात्र एक जीत के, वृथा मोह जाल में, मैं हार कर हारा नहीं, हार टालता रहा। कवि डा. सुरेंद्र शर्मा मधुर ने कभी तुम सामने जो आते हो, दर्द सारे मिटा के जाते हो, दिल जैसे बन गया बंजर, पर तुम बादल से छाए जाते हो। कवि बीपी कोटनालाने साहित्य दर्पण के चांद सितारों चमको, दमको, सूर्य बनो तुम, कामना यही हमारी है, छू लो आसमान को, जड़ को छोड़ कभी मत देना तुम। कवि मुनेश कुमार शर्मा ने कभी-कभी मिलने पर जिसको जान छिड़कते देखा था, बीवी बनते ही तलवार दुधारी लगने लगती है। कवि सोमपाल सिंह प्रजापति ने जब नफरतें मिट जाएगी और प्रेम पूजा जाएगा, मान लो उस दिन धरा पर स्वर्ग आ बस जाएगा। कवि हेम चंद्र जोशी ने ऊंचे पर्वत द्वार छोड़ तुम, सदा अपना नीर बहती हो, नीचे ऊंचे कठिन है रास्ते, फिर भी चलती जाती हो। कार्यक्रम की अध्यक्षता बीपी कोटनाला ने तथा संचालन ओम शरण आर्य चंचल ने किया।गणेश वंदना भोला दत्त पांडे ने की। काव्य संध्या में राजेंद्र सिंह रावत, सैनी, हरिश्चंद्र पाडे, संभाग संकरीना, राजबाला आदि उपस्थित थे।

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