June 8, 2025

काशीपुर,– मास्टर इंटरनेशनल स्कूल में शनिवार को पारंपरिक उल्लास और सांस्कृतिक समृद्धि के साथ वैशाखी पर्व मनाया गया। यह आयोजन स्कूल परिसर में किया गया, जहाँ प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा पाँचवीं तक के बच्चों ने अपने उत्साह, प्रतिभा और संस्कृति के प्रति लगाव का अनोखा प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर स्कूल का वातावरण पूरी तरह से पंजाबी संस्कृति में रंगा नजर आया। स्कूल को पारंपरिक सजावट और वैशाखी से संबंधित प्रतीकों से सजाया गया था। हर ओर उल्लास और जीवंतता का माहौल देखने को मिला। कार्यक्रम की शुरुआत में बच्चों ने एक के बाद एक प्रस्तुति देकर समां बांध दिया।
कार्यक्रम का आरंभ प्री-प्राइमरी, नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी कक्षाओं के बच्चों द्वारा पारंपरिक पंजाबी लोक गीतों पर नृत्य से हुआ। बच्चों ने “मोरनी बनके”, “माही वे”, “बोलो तारारा” जैसे लोकप्रिय पंजाबी गीतों पर रंग-बिरंगी पोशाकों में थिरकते हुए कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। इन मासूम बच्चों की अद्भुत ऊर्जा ने दर्शकों का मन मोह लिया।
बच्चों को पंजाबी पारंपरिक पोशाकों जैसे फुलकारी, सलवार-कमीज, पटियाला सूट और पगड़ी में देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे पंजाब की छवि काशीपुर में उतर आई हो। उनके चेहरों की मुस्कान और आत्मविश्वास यह दर्शा रहीं थी कि उन्हें न केवल इस कार्यक्रम का हिस्सा बनकर गर्व है, बल्कि वे अपनी संस्कृति को भी आत्मसात कर रहे हैं।
इसके पश्चात कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के छात्रों ने हिंदी और अंग्रेजी भाषणों के माध्यम से वैशाखी पर्व के महत्व पर प्रकाश डाला। बच्चों ने बताया कि वैशाखी न केवल फसल कटाई का त्योहार है, बल्कि यह ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कक्षा 5 के छात्र प्रनत जैन ने अपने भाषण में कहा, “वैशाखी सिख धर्म में बहुत ही खास महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन 1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। यह दिन हमें साहस, निष्ठा और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित होने का संदेश देता है।”
वहीं कक्षा 8 के छात्र साइश अरोरा ने अंग्रेजी में अपना भाषण देते हुए बताया, “Baisakhi marks the beginning of the harvest season in Punjab. It is a time of joy and gratitude towards nature and farmers who work tirelessly to feed us.”

इन भाषणों ने न केवल छात्रों की भाषण कला का प्रदर्शन किया, बल्कि बच्चों और अध्यापकों को इस पर्व के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं से अवगत भी कराया। छात्रों ने वैशाखी को कृषि उत्सव, सामूहिक एकता और धार्मिक बलिदान का प्रतीक बताया।
कार्यक्रम के समापन पर स्कूल की प्रबंधिका श्रीमती शिल्पी गर्ग ने सभी बच्चों और अध्यापकों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य सिर्फ शिक्षा देना नहीं है, बल्कि छात्रों को उनके सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ना भी है। वैशाखी पर्व हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और सामाजिक एकता का संदेश देता है।”
इस अवसर पर स्कूल के प्रधानाचार्य, शिक्षकगण उपस्थित रहे। सभी ने कार्यक्रम की भूरी-भूरी प्रशंसा की और इसे विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. गौरव गर्ग ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि “मास्टर इंटरनेशनल स्कूल में मनाया गया यह वैशाखी पर्व न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव था, बल्कि एक ऐसा मंच भी था जहाँ बच्चों ने आत्मविश्वास, टीमवर्क, और अपनी सांस्कृतिक पहचान को दर्शाने का अवसर पाया। यह आयोजन आने वाले वर्षों में भी इसी उत्साह और नवीनता के साथ आयोजित हो, यही सभी की कामना है।”

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