बीते रविवार को काशीपुर शहर में साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन किया गया था जिसमें कवियों और शायरों ने खूब वाह वाही लूटी। रचनाकारों ने अपनी कविताओं के जरिये सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
बताते चलें की सितंबर माह में साहित्य के प्रसार के लिए साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का एक आयोजन किया गया था। इसमें भारत की अलग अलग जगह से बहुत से कवियों, लेखकों और शायरों ने भाग लिया। रविवार को शाम के समय में इस कार्यक्रम का आयोजन अग्रवाल सभा में शुभारंभ दीप जलाकर किया गया। इस मंच पर श्रोताओं की काफी भीड़ की देखने को मिली। कवियों ने अपनी मुहब्बत की ज़ुबानों से श्रोताओं का मन जीत लिया। इसके चलते कई रचनाकारों को पुरुस्कार से सम्मानित भी किया गया।
इस कवि सम्मलेन में बहुत से कवि और कवियत्री ने दिल खोलकर प्रतिभाग किया। ओज कवि अनिल सारस्वत ने भी अपना खूब जलवा बिखेरा। इस दौरान बहुत सी कविताएं पढ़ी गईं जिसमें कुछ ये हैं – “नमन मेरा है बहनों को जिन्होंने राखियां खोई नमन मेरा है भाई को जिन्होंने मस्तियां खोई” , “उसके बिना मन की प्यास बुझती ही नहीं” , “जाने जां दूर से आवाज मुझे और न दे” , “मेरी एक कलम ने देखो कितने गीतों को लिख डाला” और “अजनबी हम गांव में अपने नजर आने लगे” आदि।
इस ख़ुशी और जश्न के मौके पर एकत्र हुए कवियों में कवि जितेंद्र कुमार कटियार, डॉ. मनोज आर्य, कवि सुरेंद्र अग्रवाल, भारतीय कवि मुहम्मद आसिफ अली, श्री शेष कुमार सितारा, भारतीय कवि कैलाश चंद्र यादव, कवियत्री डॉ. विनीता कुशवाहा, डॉ. महेंद्र जोशी, कवियत्री मंजुल मिश्रा, राम प्रसाद अनुरागी आदि और अन्य कवि मित्रगण मौजूद रहे। इस कार्यक्रम का जिम्मा जिन दो लोगों के कंधों पर था वह अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार मिश्रा और संचालन मुनेश कुमार शर्मा थे।
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