अष्टमी और नवमी के दिन स्कूलों में अवकाश घोषित करने का विचार, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। इन दिनों का विशेष महत्त्व है क्योंकि नवरात्रि के दौरान अष्टमी और नवमी के दिन देवी पूजन और कन्या भोज जैसी धार्मिक परंपराओं का आयोजन होता है। बहुत से लोग इन दिनों कन्या पूजन और भोजन की व्यवस्था करते हैं, जहां नौ कन्याओं को पूजित कर उनके पैर धोए जाते हैं और उन्हें भोजन कराया जाता है। इसके साथ ही उन्हें उपहार भी दिए जाते हैं। यह भारतीय समाज की एक पुरानी और महत्वपूर्ण परंपरा है।हालांकि, मौजूदा समय में एक बड़ी समस्या यह है कि लोगों को अष्टमी और नवमी के दिन कामकाज, स्कूल या अन्य जिम्मेदारियों के चलते कन्याओं को ढूंढने और इस परंपरा को निभाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। खासकर स्कूल जाने वाली कन्याओं को इस दौरान आमतौर पर स्कूल में उपस्थित रहना होता है, जिससे उन्हें ढूंढ पाना कठिन हो जाता है। इसी वजह से, अष्टमी और नवमी के दिन अवकाश घोषित करने का सुझाव कई लोगों के लिए बेहद उपयोगी हो सकता है। इससे कन्या भोज और पूजन में शामिल होने के लिए समय मिल सकेगा, और बच्चों को भी अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का अवसर मिलेगा।इसके साथ ही, यह अवकाश न सिर्फ धार्मिक कारणों से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक सामंजस्य के दृष्टिकोण से भी लाभकारी हो सकती है। भारत जैसे विविध सांस्कृतिक देश में त्योहार और धार्मिक उत्सव सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखते, बल्कि वे समाज के एक बड़े हिस्से को आपस में जोड़ने का काम भी करते हैं। ऐसे में, अगर अष्टमी और नवमी के दिन स्कूलों में छुट्टी होती है, तो इससे परिवार और बच्चे दोनों ही सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में ज्यादा शामिल हो सकेंगे।इसके अलावा, छुट्टी से बच्चों को धार्मिक मान्यताओं और त्योहारों की गहराई को समझने का मौका मिलेगा। बच्चों के विकास में शिक्षा जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही महत्वपूर्ण है उनके संस्कार और संस्कृति से जुड़ी जानकारी। धार्मिक और सांस्कृतिक छुट्टियों से बच्चे अपनी जड़ों से जुड़े रह सकते हैं और इन दिनों का महत्व समझ सकते हैं।यह कदम प्रशासनिक स्तर पर भी ध्यान देने योग्य है।
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